शादी और सेक्स परमेश्वर के वचन | बाइबल सेक्स के बारे में क्या कहती है

सेक्स, परमेश्‍वर से मिला एक वरदान है आज का बाइबल वचन शादी और सेक्स के बारेमे बाइबिल के पद नया नियम और पुराणा नियम बाइबिल वचन – परमेश्वर के वचन

शादी और सेक्स के परमेश्वर के वचन

तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को भारी नींद में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकालकर उसकी जगह मांस भर दिया। और यहोवा परमेश्‍वर ने उस पसली को जो उसने आदम* में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। तब आदम ने कहा, “अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है; इसलिए इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।” इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे एक ही तन बने रहेंगे।

जब आदम अपनी पत्नी हव्वा के पास गया तब उस ने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, “मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरुष पाया है।”

आदम अपनी पत्नी के पास फिर गया, और उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम यह कह के शेत रखा : “परमेश्‍वर ने मेरे लिये हाबिल के बदले जिसको कैन ने घात किया, एक और वंश ठहरा दिया है।”

परन्तु यहोवा ने फ़िरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्नी सारै के कारण बड़ी बड़ी विपत्तियाँ डालीं। 18तब फ़िरौन ने अब्राम को बुलवाकर कहा, “तू ने मेरे साथ यह क्या किया? तू ने मुझे क्यों नहीं बताया कि वह तेरी पत्नी है?

अब्राम की पत्नी सारै के कोई सन्तान न थी। उसके हाजिरा नाम की एक मिस्री दासी थी। 2सारै ने अब्राम से कहा, “देख, यहोवा ने तो मेरी कोख बन्द कर रखी है, इसलिये मैं तुझ से विनती करती हूँ कि तू मेरी दासी के पास जा; सम्भव है कि मेरा घर उसके द्वारा बस जाए।” सारै की यह बात अब्राम ने मान ली। 3इसलिये जब अब्राम को कनान देश में रहते दस वर्ष बीत चुके तब उसकी स्त्री सारै ने अपनी मिस्री दासी हाजिरा को लेकर अपने पति अब्राम को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो।

उसने कहा, “मैं वसन्त ऋतु में निश्‍चय तेरे पास फिर आऊँगा, और तेरी पत्नी सारा के एक पुत्र उत्पन्न होगा।” सारा तम्बू के द्वार पर जो अब्राहम के पीछे था, सुन रही थी। 11अब्राहम और सारा दोनों बहुत बूढ़े थे; और सारा का मासिक धर्म बन्द हो गया था। 12इसलिये सारा मन में हँस कर कहने लगी, “मैं तो बूढ़ी हूँ, और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?

ओनान जानता था कि सन्तान मेरी न ठहरेगी; इसलिये ऐसा हुआ कि जब वह अपनी भौजाई के पास गया, तब उसने भूमि पर वीर्य गिराकर नाश किया, जिससे ऐसा न हो कि उसके भाई के नाम से वंश चले। 10यह काम जो उसने किया उससे यहोवा अप्रसन्न हुआ; और उसने उसको भी मार डाला। 

तू व्यभिचार न करना।

बाइबल सेक्स के बारे में क्या कहती है ?

तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी या बैल-गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।

अपनी सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता ही का तन है। फिर अपने भाईबन्धु की स्त्री से कुकर्म करके अशुद्ध न हो जाना।

फिर यदि कोई पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करे, तो जिसने किसी दूसरे की स्त्री के साथ व्यभिचार किया हो तो वह व्यभिचारी और वह व्यभिचारिणी दोनों निश्‍चय मार डाले जाएँ।  यदि कोई जिस रीति स्त्री से उसी रीति पुरुष से प्रसंग करे, तो वे दोनों घिनौना काम करनेवाले ठहरेंगे; इस कारण वे निश्‍चय मार डाले जाएँ, उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा।

वे वेश्या या भ्रष्‍टा से विवाह न करें, और न त्यागी हुई से विवाह करें; क्योंकि याजक अपने परमेश्‍वर के लिये पवित्र होता है।

और वह कुँवारी स्त्री से ही विवाह करे। 14जो विधवा, या त्यागी हुई, या भ्रष्‍ट, या वेश्या हो, ऐसी किसी से वह विवाह न करे, वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुँवारी कन्या से विवाह करे।

जलन की व्यवस्था यही है, चाहे कोई स्त्री अपने पति को छोड़ दूसरे की ओर फिरके अशुद्ध हो, 30चाहे पुरुष के मन में जलन उत्पन्न हो और वह अपनी स्त्री पर जलने लगे; तो वह उसको यहोवा के सम्मुख खड़ा कर दे, और याजक उस पर यह सारी व्यवस्था पूरी करे।

यदि कोई पुरुष किसी स्त्री से विवाह करे, और उसके पास जाने के समय वह उसको अप्रिय लगे, 14और वह उस स्त्री की नामधराई करे, और यह कहकर उस पर कुकर्म का दोष लगाए, ‘इस स्त्री से मैं ने विवाह किया, और जब उससे संगति की तब उसमें कुँवारी अवस्था के लक्षण न पाए,’ 15तो उस कन्या के माता-पिता उसके कुँवारीपन के चिह्न लेकर नगर के वृद्ध लोगों के पास फाटक के बाहर जाएँ; 16और उस कन्या का पिता वृद्ध लोगों से कहे, ‘मैं ने अपनी बेटी इस पुरुष को ब्याह दी, और वह उसको अप्रिय लगती है; 17और वह तो यह कहकर उस पर कुकर्म का दोष लगाता है, कि मैं ने तेरी बेटी में कुँवारीपन के लक्षण नहीं पाए। परन्तु मेरी बेटी के कुँवारीपन के चिह्न ये हैं।’ तब उसके माता-पिता नगर के वृद्ध लोगों के सामने उस चद्दर को फैलाएँ।

यदि कोई पुरुष किसी स्त्री से विवाह कर ले, और उसके बाद उसमें कुछ लज्जा की बात पाकर उससे अप्रसन्न हो, तो वह उसके लिये त्यागपत्र लिखकर और उसके हाथ में देकर उसको अपने घर से निकाल दे

तब दाऊद ने अपनी पत्नी बतशेबा को शान्ति दी, और वह उसके पास गया; और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने उसका नाम सुलैमान रखा। वह यहोवा का प्रिय हुआ

परन्तु अबिय्याह और भी सामर्थी हो गया और चौदह स्त्रियाँ ब्याह लीं जिनसे बाइस बेटे और सोलह बेटियाँ उत्पन्न हुईं।

देखो, लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं,
गर्भ का फल उसकी ओर से प्रतिफल है।

यीशु मसीह के पवित्र वचन

तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, प्रिय हरिणी या सुन्दर सांभरनी के समान
उसके स्तन सर्वदा तुझे सन्तुष्‍ट रखें, और उसी का प्रेम नित्य तुझे आकर्षित करता रहे।

जो पराई स्त्री के पास जाता है, उसकी दशा ऐसी है; वरन् जो कोई उसको छूएगा वह दण्ड से न बचेगा।

परन्तु जो परस्त्रीगमन करता है वह निरा निर्बुद्ध है; जो अपने प्राणों को नष्‍ट करना चाहता है, वही ऐसा करता है।

जिसने स्त्री ब्याह ली, उसने उत्तम पदार्थ पाया, और यहोवा का अनुग्रह उस पर हुआ है।

जब तक आशा है तो अपने पुत्र की ताड़ना कर, जान बूझकर उसको मार न डाल।

लम्बे-चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है।

अपने व्यर्थ जीवन के सारे दिन जो उसने सूर्य के नीचे तेरे लिये ठहराए हैं, अपनी प्यारी पत्नी के संग में बिताना, क्योंकि तेरे जीवन और तेरे परिश्रम में जो तू सूर्य के नीचे करता है तेरा यही भाग है।

वह अपने मुँह के चुम्बनों से मुझे चूमे! क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है |

काश, उसका बायाँ हाथ मेरे सिर के नीचे होता, और अपने दाहिने हाथ से वह मेरा आलिंगन करता!

शादी और सेक्स परमेश्वर के वचन

तेरी दोनों छातियाँ मृग के दो जुड़वे बच्‍चों के तुल्य हैं, जो सोसन फूलों के बीच में चरते हों। हे मेरी बहिन, हे मेरी दुल्हिन, तू ने मेरा मन मोह लिया है, तू ने अपनी आँखों की एक ही चितवन से, और अपने गले के एक ही हीरे से मेरा हृदय मोह लिया है, हे मेरी बहिन, हे मेरी दुल्हिन, तेरा प्रेम क्या ही मनोहर है! तेरा प्रेम दाखमधु से क्या ही उत्तम है, और तेरे इत्रों का सुगन्ध सब प्रकार के मसालों के सुगन्ध से!

“हे बाँझ, तू जो पुत्रहीन है जयजयकार कर; तू जिसे प्रसव–पीड़ा नहीं हुई, गला खोलकर जयजयकार कर और पुकार! क्योंकि त्यागी हुई के लड़के सुहागिन के लड़कों से अधिक होंगे, यहोवा का यही वचन है।

‘हे भटकनेवाले लड़को लौट आओ, क्योंकि मैं तुम्हारा स्वामी हूँ; यहोवा की यह वाणी है। तुम्हारे प्रत्येक नगर पीछे एक, और प्रत्येक कुल पीछे दो को लेकर मैं सिय्योन में पहुँचा दूँगा।

प्रभु यहोवा यों कहता है : तू ने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूरतों से घृणित काम किए, और अपने बच्‍चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है, इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तू ने प्रीति लगाई, और जितनों से तू ने बैर रखा, उन सभों को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा करके उनको तेरी देह नंगी करके दिखाऊँगा, और वे तेरा तन देखेंगे।

जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहले पहल बातें कीं, तब उसने होशे से यह कहा, “जाकर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के बच्‍चों को अपने बच्‍चे कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।

अपनी माता से विवाद करो, विवाद–क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं, और न मैं उसका पति हूँ। वह अपने मुँह पर से अपने छिनालपन को और अपनी छातियों के बीच से व्यभिचारों को अलग करे |

यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्नी को तलाक देना चाहे, तो उसे त्यागपत्र दे।’परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से तलाक दे, तो वह उससे व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है।

इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे?’ वे अब दो नहीं, परन्तु एक तन हैं। इसलिये जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।

और जिस किसी ने घरों, या भाइयों, या बहिनों, या पिता, या माता, या बाल-बच्‍चों, या खेतों को मेरे नाम के लिए छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा।

हे गुरु, मूसा ने कहा था कि यदि कोई पुरुष बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह करके अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे। क्योंकि जी उठने पर वे न विवाह करेंगे और न विवाह में दिए जाएँगे परन्तु स्वर्ग में परमेश्‍वर के दूतों के समान होंगे।

उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।” यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी। पर सृष्‍टि के आरम्भ से परमेश्‍वर ने नर और नारी करके उनको बनाया है। इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे; इसलिये वे अब दो नहीं पर एक तन हैं। इसलिये जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है उसे मनुष्य अलग न करे।

और यदि पत्नी अपने पति को छोड़कर दूसरे से विवाह करे तो वह व्यभिचार करती है।

आशेर के गोत्र में से हन्नाह नामक फनूएल की बेटी एक भविष्यद्वक्‍तिन थी। वह बहुत बूढ़ी थी, और विवाह होने के बाद सात वर्ष अपने पति के साथ रह पाई थी।

जब कोई तुझे विवाह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो

जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते–पीते थे, और उनमें विवाह होते थे। तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नष्‍ट किया।

यीशु ने सीधे होकर उससे कहा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?” उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं।” यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।

परमेश्‍वर का वचन

क्योंकि विवाहिता स्त्री व्यवस्था के अनुसार अपने पति के जीते जी उस से बन्धी है, परन्तु यदि पति मर जाए, तो वह पति की व्यवस्था से छूट गई। इसलिये यदि पति के जीते जी वह किसी दूसरे पुरुष की हो जाए, तो व्यभिचारिणी कहलाएगी, परन्तु यदि पति मर जाए, तो वह उस व्यवस्था से छूट गई, यहाँ तक कि यदि किसी दूसरे पुरुष की हो जाए तौभी व्यभिचारिणी न ठहरेगी।

यहाँ तक सुनने में आता है कि तुम में व्यभिचार होता है, वरन् ऐसा व्यभिचार जो अन्यजातियों में भी नहीं होता कि एक मनुष्य अपने पिता की पत्नी को रखता है। और तुम शोक तो नहीं करते, जिससे ऐसा काम करनेवाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता, परन्तु घमण्ड करते हो।

क्या तुम नहीं जानते कि अन्यायी लोग परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ; न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्‍चे, न पुरुषगामी, न चोर, न लोभी, न पियक्‍कड़, न गाली देनेवाले, न अन्धेर करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के वारिस होंगे।

भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्तु परमेश्‍वर इस को और उस को दोनों को नष्‍ट करेगा। परन्तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन् प्रभु के लिये है, और प्रभु देह के लिये है। परमेश्‍वर ने अपनी सामर्थ्य से प्रभु को जिलाया, और हमें भी जिलाएगा।

व्यभिचार से बचे रहो। जितने अन्य पाप मनुष्य करता है वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है। क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है, जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्‍वर की ओर से मिला है; और तुम अपने नहीं हो? क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्‍वर की महिमा करो।

उन बातों के विषय में जो तुम ने लिखीं, यह अच्छा है कि पुरुष स्त्री को न छूए। परन्तु व्यभिचार के डर से हर एक पुरुष की पत्नी, और हर एक स्त्री का पति हो।

पति अपनी पत्नी का हक्‍क पूरा करे; और वैसे ही पत्नी भी अपने पति का। पत्नी को अपनी देह पर अधिकार नहीं पर उसके पति का अधिकार है; वैसे ही पति को भी अपनी देह पर अधिकार नहीं, परन्तु पत्नी का है। तुम एक दूसरे से अलग न रहो; परन्तु केवल कुछ समय तक आपस की सम्मति से कि प्रार्थना के लिये अवकाश मिले, और फिर एक साथ रहो; ऐसा न हो कि तुम्हारे असंयम के कारण शैतान तुम्हें परखे।

परन्तु मैं अविवाहितों और विधवाओं के विषय में कहता हूँ कि उनके लिये ऐसा ही रहना अच्छा है, जैसा मैं हूँ। परन्तु यदि वे संयम न कर सकें, तो विवाह करें; क्योंकि विवाह करना कामातुर रहने से भला है।

जिनका विवाह हो गया है, उनको मैं नहीं, वरन् प्रभु आज्ञा देता है कि पत्नी अपने पति से अलग न हो – और यदि अलग भी हो जाए, तो बिन दूसरा विवाह किए रहे; या अपने पति से फिर मेल कर ले – और न पति अपनी पत्नी को छोड़े।

क्योंकि ऐसा पति जो विश्‍वास न रखता हो, वह पत्नी के कारण पवित्र ठहरता है; और ऐसी पत्नी जो विश्‍वास नहीं रखती, पति के कारण पवित्र ठहरती है; नहीं तो तुम्हारे बाल-बच्‍चे अशुद्ध होते, परन्तु अब तो पवित्र हैं।

मैं यह चाहता हूँ कि तुम्हें चिन्ता न हो। अविवाहित पुरुष प्रभु की बातों की चिन्ता में रहता है कि प्रभु को कैसे प्रसन्न रखे। परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है कि अपनी पत्नी को किस रीति से प्रसन्न रखे। विवाहिता और अविवाहिता में भी भेद है : अविवाहिता प्रभु की चिन्ता में रहती है कि वह देह और आत्मा दोनों में पवित्र हो, परन्तु विवाहिता संसार की चिन्ता में रहती है कि अपने पति को प्रसन्न रखे।

जब तक किसी स्त्री का पति जीवित रहता है, तब तक वह उससे बन्धी हुई है; परन्तु यदि उसका पति मर जाए तो जिस से चाहे विवाह कर सकती है, परन्तु केवल प्रभु में।

शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात् व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन, मूर्तिपूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम से पहले से कह देता हूँ जैसा पहले कह भी चुका हूँ, कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे।

पिता परमेश्वर के वचन

जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार और किसी प्रकार के अशुद्ध काम या लोभ की चर्चा तक न हो

हे पत्नियो, अपने अपने पति के ऐसे अधीन रहो जैसे प्रभु के। क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है और स्वयं ही देह का उद्धारकर्ता है। पर जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने अपने पति के अधीन रहें। हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया कि उसको वचन के द्वारा जल के स्‍नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए, और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई और ऐसी वस्तु हो वरन् पवित्र और निर्दोष हो। इसी प्रकार उचित है कि पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे। जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है। क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन् उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है। इसलिये कि हम उसकी देह के अंग हैं।

“इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।”

यह भेद तो बड़ा है, पर मैं यहाँ मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूँ। 33पर तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति का भय माने।

इसलिये अपने उन अंगों को मार डालो जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्तिपूजा के बराबर है |

क्योंकि परमेश्‍वर की इच्छा यह है कि तुम पवित्र बनो : अर्थात् व्यभिचार से बचे रहो, और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपनी पत्नी को प्राप्‍त करना जाने

व्यभिचारियों, पुरुषगामियों, मनुष्य के बेचनेवालों, झूठ बोलनेवालों, और झूठी शपथ खानेवालों, और इनके अतिरिक्‍त खरे उपदेश के सब विरोधियों के लिये ठहराई गई है।

यह आवश्यक है कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, अतिथि-सत्कार करनेवाला, और सिखाने में निपुण हो। सेवक एक ही पत्नी के पति हों और बाल-बच्‍चों और अपने घरों का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों।

जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के बच्‍चे विश्‍वासी हों, और उनमें लुचपन और निरंकुशता का दोष न हो।

विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह-बिछौना निष्कलंक रहे, क्योंकि परमेश्‍वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।

वैसे ही हे पतियो, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो, और स्त्री को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करो, यह समझकर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिससे तुम्हारी प्रार्थनाएँ रुक न जाएँ।

पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू उस स्त्री इजेबेल को रहने देता है जो अपने आप को भविष्यद्वक्‍तिन कहती है, और मेरे दासों को व्यभिचार करने और मूर्तियों के आगे चढ़ाई गई वस्तुएँ खाना सिखलाकर भरमाती है।

और जो खून, और टोना, और व्यभिचार, और चोरी उन्होंने की थी, उनसे मन न फिराया।

क्योंकि उसके निर्णय सच्‍चे और ठीक हैं। उसने उस बड़ी वेश्या का, जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती थी, न्याय किया और उससे अपने दासों के लहू का बदला लिया है।

Amen.